दौलत सोहरत से नही बनता है कोई अमीर
"खुशी" है पास नही तो जीकर करे क्या कबीर
"खुशी" है पास नही तो जीकर करे क्या कबीर
आज इंसान और उसकी दुनिया कितनी बदल चुकी है जीवन के मूल्य और अस्म्ताये कहीं खो कर रह गयी है बदलाव अच्छा है ,लेकिन कुछ भी तो अच्छा नहीं हो रहा है....देखो न इस हालत पर कबीरा कैसे रो रहा है