दौलत सोहरत से नही बनता है कोई अमीर
"खुशी" है पास नही तो जीकर करे क्या कबीर
"खुशी" है पास नही तो जीकर करे क्या कबीर
आज इंसान और उसकी दुनिया कितनी बदल चुकी है जीवन के मूल्य और अस्म्ताये कहीं खो कर रह गयी है बदलाव अच्छा है ,लेकिन कुछ भी तो अच्छा नहीं हो रहा है....देखो न इस हालत पर कबीरा कैसे रो रहा है
6 comments:
दौलत सोहरत से नही बनता है कोई अमीर
"खुशी" है पास नही तो जीकर करे क्या कबीर
wah....
jinda rhane ke liye sirf khushi jaruri nahi...
zindagi kat jati hai jab apno ka sahara hai....
khushi ji apne to kaatne ki bat ki hai mai zindagi jine ki bat karta hoon.agar 'apne' pas hain to khushi hi hai na.aur agar apne swarthi hi hai ...phir bhi khushi nahi...khushi ke liye daulton ki nahi..sirf santosh ki jarurat hoti hai vaise yeh doha maine aapki rachna se prabhavit ho kar hi likha tha..isliye aapka bahut bahut dhanyavaad
waah....bahut khub likha hai
khushi to apno se hoti hai or wahi insaan amir hota hai jiske apne uske sath ho
bahut khub likha hai. par insan ki fitrat khudd insan v nahi janta hai
हिन्दी चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है. नियमित लेखन के लिए मेरी हार्दिक शुभकामनाऐं.
वर्ड वेरिपिकेशन हटा लें तो टिप्पणी करने में सुविधा होगी. बस एक निवेदन है.
डेश बोर्ड से सेटिंग में जायें फिर सेटिंग से कमेंट में और सबसे नीचे- शो वर्ड वेरीफिकेशन में ’नहीं’ चुन लें, बस!!!
नए चिट्ठे के साथ आपका स्वागत है........आशा करती हूं कि आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिट्ठाजगत को मजबूती देंगे........ बहुत बहुत धन्यवाद।
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