Tuesday, December 30, 2008


गए समय को क्या विदा क्या नए बरस की आस
कबीरा घर में मौज है तो हर दिन है मधुमास

Kabir

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इश्क का आगाज़ क्या अंजाम क्या वहशियों को मसलिहत से काम क्या जो भी था रहे वफ़ा में खो गया अब पूछते हो हमारा नाम क्या