आज इंसान और उसकी दुनिया कितनी बदल चुकी है
जीवन के मूल्य और अस्म्ताये कहीं खो कर रह गयी है
बदलाव अच्छा है ,लेकिन कुछ भी तो अच्छा नहीं हो रहा है....देखो न इस हालत पर कबीरा कैसे रो रहा है
Tuesday, April 21, 2009
अपने दुःख को क्या कहें हम मांगे सबका सुख देख दुखी इंसान को हम हुए स्वयं से विमुख
No comments:
Post a Comment