कुछ न हुआ जब बसे गाँव में हिंदू मुसलमान
मन्दिर मस्जिद के लिए हो गए लहू लुहान
आज इंसान और उसकी दुनिया कितनी बदल चुकी है जीवन के मूल्य और अस्म्ताये कहीं खो कर रह गयी है बदलाव अच्छा है ,लेकिन कुछ भी तो अच्छा नहीं हो रहा है....देखो न इस हालत पर कबीरा कैसे रो रहा है
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Kabir
- kabira
- इश्क का आगाज़ क्या अंजाम क्या वहशियों को मसलिहत से काम क्या जो भी था रहे वफ़ा में खो गया अब पूछते हो हमारा नाम क्या
3 comments:
ye hi to sach hai.... baki apane isse red font mai likh kar lahoo diklaya hai... likhte rhaiyega...
bahut khub likha hai aapne wakai...
bahut hi sundar
Post a Comment