Saturday, August 2, 2008


कांवड़ भरने को चला हो कर रंग बिरँगा
बापू मांगे पाणी तो मार पीट और दंगा

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Kabir

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इश्क का आगाज़ क्या अंजाम क्या वहशियों को मसलिहत से काम क्या जो भी था रहे वफ़ा में खो गया अब पूछते हो हमारा नाम क्या