निकल गया अरमान कबीराक्या कर रहा था बात
रहा गैर का गैर यहाँ तेरी पूछे न कोई जात
आज इंसान और उसकी दुनिया कितनी बदल चुकी है जीवन के मूल्य और अस्म्ताये कहीं खो कर रह गयी है बदलाव अच्छा है ,लेकिन कुछ भी तो अच्छा नहीं हो रहा है....देखो न इस हालत पर कबीरा कैसे रो रहा है
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Kabir
- kabira
- इश्क का आगाज़ क्या अंजाम क्या वहशियों को मसलिहत से काम क्या जो भी था रहे वफ़ा में खो गया अब पूछते हो हमारा नाम क्या
2 comments:
" ya very rightly said,liked reading it ya"
Regards
रहा गैर का गैर यहाँ तेरी पूछे न कोई जात
kitna sach likha hai...
crrueuwc
Post a Comment